भीतरी व बाहरी पवित्रता
पावन श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की सेवा, आदर व पूजा के लिए भीतरी व बाहरी पवित्रता पर ज़ोर दिया जाता था। बाबा नंद सिंह जी महाराज स्वयं सत्य व पवित्रता की प्रतिमूर्ति थे। बाबा जी की ओर से इन धार्मिक गुणों का बहुत कठोरता से पालन किया जाता था। वे इस मर्यादा को कभी भी भंग न करने का उपदेश देते थे। उन की निराली मर्यादा, परम्परा तथा साधना में से पवित्रता की झलक पैदा होती थी। उन के स्थान पर सांसारिकता तथा अपवित्रता कभी भी समीप नहीं आती थी।
बाबा नंद सिंह जी महाराज पवित्रता के समूह थे। उन की पावन हजूरी में एकत्रित सहस्त्रों संगतें ऐसा अनुभव करती थीं, मानो वे पवित्रता के भाव-सागर में तैर रही हों। उन की हजूरी में हृदय की सारी मलिनता धुल जाती थी, पूर्व पापों तथा दुष्कर्मों का नाश हो जाता था। पवित्रता के सागर बाबा नंद सिंह जी महाराज के द्वारा श्री गुरु ग्रंथ साहिब की कृपाएँ तथा आशीर्वाद सम्पूर्ण विश्व को प्राप्त होते थे। उनके निवास-स्थान पर अहं, सांसारिकता या भौतिकतावाद का कोई नामोनिशान नहीं था। उन की संगतों में पवित्रता ही प्रधान होती थी, जीवन का प्रेरणा-ड्डोत होती थी।
बाबा नंद सिंह जी महाराज का नाम मात्रा प्रेम व पवित्रता का प्रतीक है। उनका पवित्र नाम अध्यात्म के क्षितिज पर पूर्णिमा के चाँद की तरह चमकता है। एक सच्चे हृदय वाला श्रद्धालु, बाबा नंद सिंह जी महाराज के जीवन तथा मर्यादा से उस दिव्य प्रेमरस का अनुभव कर सकता है जो दिव्य प्रेम श्री गुरु ग्रंथ साहिब में भरपूर है।
निर्मलता के सागर बाबा नंद सिंह जी महाराज की पावन हजूरी में पवित्र हुए हृदयों को प्रत्यक्ष गुरु नानक साहिब के स्वरूप श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की रूहानियत व दृश्यों का अनुभव होने लग जाता था। बाबा नंद सिंह जी महाराज की संगत में बैठे हुए समूह को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में दृढ़ विश्वास करने का एक अलौकिक अनुभव होता था।
यह अद्भुत मर्यादा श्री गुरु ग्रंथ साहिब की स्वानुभूत एवं गहन पूजा से उद्भूत थी, व्यक्तिगत और प्रत्यक्ष अनुभवों पर आधारित और उनकी आत्मा की गहराइयों से उद्भूत थी। प्रेम के शुद्ध भाव से बनाई यह मर्यादा बहुत अनुशासन वाली मर्यादा है। इस विलक्षण मर्यादा, साधना तथा पूजा के अग्रणी, कलेराँ वाले महान् ब्रह्मरूप बाबा नंद सिंह जी महाराज के बिना और कौन हो सकता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी से प्रत्यक्ष में गुरु नानक साहिब की सप्राण अनुभूति कराना मानवता पर बहुत बड़ा उपकार था। उन्होंने समूह-संगतों को श्री गुरु नानक साहिब जी की प्रत्यक्ष उपस्थिति का रहस्यमय अनुभव करवाया था।