निष्काम भावना
पहले लोग अज्ञानतावश श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को अपने घरों में अल्मारियों, नौकरों वाले कमरों, गैरजों या अन्य तिरस्कृत स्थानों में भी रख देते थे। परन्तु अब लोग श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का गुरु नानक जी के समान अत्यधिक आदर करते हुए अच्छे व योग्य स्थानों में प्रकाश करने लगे हैं। अब इन श्रद्धालुओं के लिए श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अर्थ नए हैं। अब उनको इस में अत्यधिक पवित्रता दृष्टिगोचर होती है। भक्तजन, नई रूह व सच्ची श्रद्धा के साथ अपने घरों में विराजमान गुरु परमेश्वर की पवित्र उपस्थिति की अनुभूति करने लगे हैं।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में गहन आस्था तथा विनम्र सेवा भाव, प्रेम, सत्कार, व पूजा इस पवित्र मर्यादा, परम्परा व साधना का प्राण है।
बाल्यकाल से ही बाबाजी गुरु नानक साहिब पर निर्भर थे। उनके जीवन का प्रत्येक क्षण तथा प्रत्येक श्वास श्री गुरु नानक साहिब जी की स्मृति में रहता था। वे भौतिक वस्तुओं पर कभी भी आश्रित नहीं हुए थे।
बाबा जी की तरह विश्व में कम ही ऐसे हुए हैं जो पूर्ण रूप से निष्काम थे, अपरिग्रही थे। उनका किसी भी भौतिक वस्तु से मोह नहीं था। बाबा जी द्वारा शुद्ध मर्यादा की स्थापना इन दिव्य गुणों में शिरोमणि है। उनके द्वारा स्थापित की गई धार्मिक मर्यादा में सतगुरु गुरु नानक देव जी के प्रति प्रेम का एक विशेष उदाहरण मिलता है। यह मर्यादा हमें सच्ची भक्ति व श्रद्धा वाली प्रेमा-भक्ति की ऊँची अवस्थाओं में ले जाती है। प्रेमभक्ति की यह शुद्ध मर्यादा सन्देह रहित भरोसे, सच्चे प्रेम व निष्काम भावना से भरपूर थी।