कभी शाप न देना
बाबा जी ने अपने जीवन में कभी भी किसी को शाप नहीं दिया था। उन्होंने अपने मुखारविन्द से कभी भी किसी की निंदा नहीं की थी।
ब्रहम गिआनी ते कछु बुरा न भइआ॥
ब्रह्मज्ञानी के हृदय में सब के लिए दया होती है। ब्रह्मज्ञानी कभी किसी का बुरा नहीं करता। बाबा नंद सिंह जी महाराज ने उन लोगों का भी भला ही माँगा था जो उन की निंदा करते थे। एक बार आप ने कहा था-
एक बार भाई रत्न सिंह जी ने बाबा जी को बताया कि एक आदमी सदैव आपकी निंदा करता है। बाबा जी मुस्करा कर कहने लगे कि उस आदमी की रत्न सिंह से पहले मुक्ति होगी क्योंकि वह रत्न सिंह से अधिक ध्यान तथा याद से ‘उस’ को याद करता है।
नानक तिसु जन कउ सदा नमसकारु॥
ऐसा महापुरुष स्वयं भी मुक्त होता है तथा सम्पूर्ण विश्व को मुक्त करने की क्षमता रखता है। ऐसे महापुरुषों को सदैव नमस्कार होता है। ऐसे महापुरुषों का युगों उपरान्त पृथ्वी पर आगमन होता है। उन की पवित्र संगत में प्रभु की महिमा-गान करने से मनुष्य इस संसार से आसानी से पार हो जाता है।
बाबा जी ने अपने विरोधियों तथा ईष्र्यालुओं की भी मंगल-कामना की थी। उन की दया व कृपा के रूहानी भण्डार से कभी भी कोई रिक्त नहीं गया था।
ब्रह्म-ज्ञानी के हृदय से सब के लिए दया व कृपा की बराबर वर्षा होती है। इस प्रकार की पूजनीय आत्मा ने कभी भी किसी का बुरा नहीं किया था। उन की अपार दया-दृष्टि से सहस्त्रों, लाखों प्राणियों को मुक्ति प्राप्त हुई थी। उन्होंने न सिर्फ अपने श्रद्धालुओं का ही उद्धार किया, बल्कि अज्ञानियों व दुश्मनों का भी उद्धार किया है।