श्री गुरु ग्रंथ साहिब में पूर्ण सम्मिलन
एक बार आदरणीय बाबा ईशर सिंह जी मेरे पिता जी के साथ बाबा नंद सिंह जी महाराज की महिमा के विषय में बातचीत कर रहे थे। बाबा ईशर सिंह जी ने अपने निजी अनुभवों से एक घटना सुनाई। उस समय हमारे अतिरिक्त और भी संगत उपस्थित थी। यह घटना इस प्रकार है-
एक बार बाबा नंद सिंह जी महाराज श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की सेवा कर रहे थे। यह सुख-आसन करने का समय था। बाबा ईशर सिंह जी, बाबा नंद सिंह जी महाराज की सेवा करते हुए एक स्थिर दृष्टि से देख रहे थे। उनके मन में बाबा जी के अपने प्रिय पूजनीय व आदरणीय श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के साथ अभेद होने के विचार आ रहे थे। बाबा नंद सिंह जी महाराज ने उस समय दया-दृष्टि से बाबा ईशर सिंह जी की ओर देखा। फिर बाबा जी श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के सम्मुख नतमस्तक हुए तथा उनमें दैहिक रूप में अलोप हो गए। जब कुछ समय तक बाबा जी प्रकट नहीं हुए तो बाबा ईशर सिंह जी को बहुत चिन्ता हुई तथा वे बाबा जी के पुनः प्रकट होने की प्रार्थनाएँ करने लगे। कुछ समय उपरान्त बाबा नंद सिंह जी महाराज श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी से पुनः प्रकट हो गए।
आदरणीय बाबा ईशर सिंह जी ने बताया कि बाबा नंद सिंह जी महाराज की कृपा से यह सब कुछ उन्होंने अपनी आँखों से देखा था। उन्होंने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के महान् उपासक को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में शारीरिक रूप में सम्मिलित व शारीरिक रूप में प्रकट होते हुए दर्शन किए थे। यह सब मानवता का उद्धार करने हेतु था।
बाबा नंद सिंह जी महाराज श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की रूहानी गोदी में अलोप हो गए थे। वह सर्वव्यापी पारब्रह्म गुरु नानक साहिब जी की इलाही गोदी में अलोप हो गए थे तथा रूहानियत के सूर्य अपने निजी स्थान पर पुनः प्रकट हो गए थे। वह श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की रूहानियत के सागर थे।