प्यार और विश्वास का कमाल
भक्त प्रह्लाद के चट्टान सरीखे और दृढ़ विश्वास ने पत्थर के खम्बे से परमात्मा को प्रकट कर लिया। श्री गुरु नानक साहिब फ़रमाते हैं-
पैज रखदा आइअ राम राजे।
हरणाखसु दुसटु हरि मारिआ प्रहलादु तराइआ।
भाई गुरदास जी अपनी ‘वार’ में भक्त प्रह्लाद के विषय में इस तरह फरमाते है-
बेमुख पकड़ पछाड़ियन संत सहाय आदि जुगादि।।
जय-जयकार करन ब्रह्मादि।।2।।
श्रद्धालु जिसे गुरु ग्रंथ साहिब कहते है और ‘प्रकट गुरुओं की देह’ भी मानते हैं, उस धर्म ग्रंथ में से बाबा नंद सिंह जी महाराज ने अपने अद्वितीय प्रेम, महान हार्दिक निश्छलता, आस्था और दृढ़ विश्वास से गुरु नानक निरंकार को सचमुच में प्रकट करके अपने सम्मुख उनके जीते-जागते स्वरूप के दर्शन किए। क्या यह प्यार और विश्वास का सर्वश्रेष्ठ और अनुपम चमत्कार नहीं है?
बाबा नंद सिंह जी महाराज आध्यात्मिक संसार में अद्वितीय और सर्वोत्तम स्थान रखते हैं। उनका यह कथन है कि श्री ग्रंथ साहिब जी गुरु साहिबान की ‘प्रत्यक्ष देह’ है, परमात्मा को श्री गुरु ग्रंथ साहिब में से प्रकट होकर बाबा नंद सिंह जी महाराज के साथ सशरीर रहना पड़ा।
बाबा नंद सिंह जी महाराज स्वयं में ईश्वरीय त्याग और विश्वास की मूर्ति थे। जन-समूह में त्याग और विश्वास की रोशनी जगाने के लिए उन्होंने शारीरिक चोला धारण किया।
परमात्मा पत्थर के खम्बे से भी प्रकट हुए और उनका भक्त प्रह्लाद से अद्भुत संवाद हुआ, इतिहास इसका साक्षी है।
श्री गुरबाणी को ‘नाम का जहाज़’ कहा गया है और इसकी महिमा के विषय में कहा गया ‘वाह वाह बाणी निरंकार है।’ बाबा नंद सिंह जी महाराज ने गुरुवाणी में से सचमुच निरंकार को प्रकट कर दिया और
के विशेषण से जानी गयी ‘पावन पोथी’ (श्री गुरु ग्रंथ साहिब) में से प्रकट हुए परमेश्वर को अपने सम्मुख ला बिठाया। ‘बाणी गुरु, गुरु है बाणी’ इस कथन को शारीरिक तौर पर उन्होंने श्री गुरु नानक साहिब को साकार रूप में प्रकट कर दिया।
बाबा नंद सिंह जी महाराज का
में से निरंकार को साकार प्रकट कर लेना एक अनुपम चमत्कार है। यह सच में से प्रकट हुआ महान् सच है। प्रकाश में से निकला महान् प्रकाश है। युग-युगान्तरों के इलाही कौतुकों में से एक महान् कौतुक है। इस अलौकिक चमत्कार, इस महान् सच, इस महान् प्रकाश और इस महान् कौतुक की महान् गाथा, बाबा नंद सिंह जी महाराज के नाम के साथ-साथ युग-युगों तक अटल रहेगी। यह अमर गाथा सर्वत्रा गायी जाएगी। सभी जीव-जन्तुओं और धरती को सौभाग्य प्रदान करती रहेगी और ‘सच खण्ड’ के अमृत सरोवर की तरह तड़पती आत्माओं की प्यास बुझाती रहेगी।
निरंकार श्री गुरु नानक साहिब कुछ समय दर्शन देने के लिए ही नहीं प्रकट हुए थे और न ही गरीबनिवाज़ कुछ समय के लिए दूध और प्रसाद का भोग लगाने के लिए पधारे थे बल्कि वे तो सदा-सर्वदा के लिए ही बाबा नंद सिंह जी महाराज के पास ‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब’ में प्रकट हो गए थे। यही कारण है कि बाबा नंद सिंह जी महाराज ने पावन सेवा, संपूर्ण सत्कार, प्रेम और पूजा के सारे प्रबंध किए। जीते-जागते श्री गुरु नानक साहिब के लिए स्नान का प्रबंध भी अनिवार्य था।
बाबा नंद सिंह जी महाराज के प्रेम की इस अमरगाथा की तरह न तो कोई गाथा पिछले युग में हुई है, न ही इस युग में इस अमरगाथा से रंच मात्रा भी किसी का मुकाबला है और न ही आने वाले युग में ऐसी कोई गाथा होगी।
महान् बाबा हरनाम सिंह जी महाराज ने एक बार पिताजी को भाव-दर्शनों में फरमाया-