प्रभु प्रेम है, प्रेम प्रभु है
बाबा जी की गहरी प्रीति का प्रत्येक को अनुभव था। सब श्रद्धालु कहा करते थे कि बाबा जी उनको बहुत प्रेम करते हैं। प्रत्येक श्रद्धालु को एक विचित्रा अनुभव होने से अपने जीवन में परिवर्तन प्रतीत होता
था। हर एक को उनके दुर्लभ चमत्कारी जीवन पर भरोसा था। दास को ऐसा अनुभव है तथा इस अनुभव की सिहरन उनके भीतर निरंतर विद्यमान रहती है।
यह सत्य है कि बाबा जी की दया व कृपा-दृष्टि सब प्राणियों पर समान पड़ती थी। बाबा जी की कृपा से प्राणी जीवन-मुक्ति प्राप्त करते थे। बाबा जी अमृत नाम के सागर थे। सभी ने इस नाम-अमश्त रस का पान किया हुआ है-
ब्रहम गिआनी ते कछु बुरा न भइआ॥
यह सत्य है कि वह सब जीवों में उपस्थित व हाज़रझूर है-
ओहु अबिनासी पुरखु है सभ महि रहिआ समाइ॥
बाबा नंद सिंह जी महाराज प्रेम व कृपा के खजाने थे। उन के पवित्र नाम ‘बाबा नंद सिंह जी तेरी जै होवे’ की मधुर ध्वनि से श्रद्धालुओं की आत्माएँ आनन्दित हो जाती हैं। उन के हृदयों में प्रेम के कंपन की लहरें उत्पन्न हो जाती हैं। दिव्य माता-पिता की संतान अनाथ कैसे हो सकती है? रूहानी माँ-बाप अपने बच्चों का सदैव पालन-पोषण व रक्षा करते हैं, तथा जन्म व मृत्यु के कुचक्रों से बचाते हैं। वे अपने बच्चों को इस विश्व की भयानक उजाड़ में भी मार्ग दर्शन करते हैं, कभी भी उन्हें भुलाते नहीं।
बाबा जी की हजूरी में एक आत्मिक आनंद की अनुभूति होती थी तथा अद्भुत अनुभव की प्राप्ति होती थी। बाबा जी की इस रहस्यमयी नूरानी शक्ति की ओर सभी धर्मों के लोग तथा विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी आकर्षित हो जाते थे। बाबा जी को इस पृथ्वी से दैहिक रूप में अलोप हुए लगभग 50 वर्ष बीत चुके हैं, परन्तु संपूर्ण संसार आज भी उनके रूहानी प्रेम-सागर की ओर खिंचा चला जाता है। वे इस संसार के कत्र्ता-धत्र्ता हैं और सर्वव्याप्त हैं, कहीं गए नहीं। हमें उनके सर्वव्यापी होने का दृढ़ निश्चय है, उन के शब्द कितने उत्प्रेरक एवं ज्ञानमंडित हैं-
गुरमुख हमेशा जिऊँदे रहन्दे हन।