श्रद्धालु के धर्मानुसार नाम का वरदान
बाबा जी के पास सभी धर्मों के लोग आते थे। बाबा जी उनके धर्मानुसार हिन्दुओं को ‘राम’ व मुसलमानों को कलमा पढ़ने व भक्ति करने का उपदेश दिया करते थे।
पूर्णमासी को संगतों के सम्मान हेतु श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पाठों के साथ श्रीमद््भगवद्गीता व पाक कुरान का दैवी प्रसाद भी बाँटा जाता था।
यह सद्भावना व सर्व-एकीकरण का निराला उदाहरण था। सब धर्मों के अनुयायी उनके आश्रम में आते तथा धैर्य व ज्ञान की बराबर प्राप्ति करके अपने आपको धन्य करते।
बाबा जी की सम्पूर्णता व महिमा सभी धर्मों का आदर्श मिलन थी।
अपने पास आने वाले किसी भी धर्म के अनुयायी के विश्वास को वे ठेस नहीं पहुँचाते थे, न ही उस के पूर्ण विश्वास को गिराते थे। वे सब के हृदय में बसे अपने धार्मिक विश्वास की अधिक दृढ़ करने की विधि बताते थे। बाबा जी ने उन लोगों को उन्हीं के मार्ग पर चलने के लिए और अधिक उत्साह व शक्ति प्रदान की, जिस पथ पर वह पहले चल रहे थे।