श्री गुरु नानक साहिब जी के पवित्र चरणों की महक
सतगुरु के चरण-कमल एक सच्चे अभिलाषी भक्त व श्रद्वालु के अहंकार को अस्तित्वहीन कर देते हैं। चरण-कमलों में दण्डवत् वन्दना व चरण-कमलों में पूर्ण समर्पण का वास्तविक अभिप्राय अहं का त्याग है।
प्रिय सतगुरु के पवित्र चरणों का प्रेम ही सच्चे सेवकों के लिए बहुमूल्य ख़जाना और उनके जीवन की मूल्यवान सम्पति है। दयानिधि सतगुरु अपने पवित्र चरणों का आश्रय देते हैं। इस ईश्वरीय सहारे के बलबूते ही ब्रह्माण्ड के मायाजाल रूपी सागर में डूबने से बचा जा सकता है।
श्री गुरु नानक साहिब जी के चरण-कमल समूचे ब्रह्माण्ड का मूल आधार है। इसलिए अति प्रिय श्री गुरु नानक साहिब जी के चरणों की धूलि बन जाओ और सृष्टि के मूल से जुड़ कर सच्ची विनम्रता से मिलने वाले परम आनन्द का रसपान करो।
झूठ, सच के रास्ते पर नहीं चल सकता। परमात्मा के पवित्र राज्य में अशुद्धता प्रवेश नहीं कर सकती। अहं की अपवित्रता ‘निर्मल अमृत नाम’ के साथ नहीं रह सकती। अशुद्ध ‘अहं’ और पवित्र नाम एक हृदय में इकट्ठे नहीं रह सकते। परमात्मा के परम आनन्दपूर्ण लोक में प्रवेश विनम्रता और अस्तित्वहीनता से ही पाया जा सकता है।